खनिज किसी भी राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए बहुमूल्य संसाधन होते हैं, जो राजस्व के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी प्रदान करते हैं। खान एवं भूविज्ञान मंत्रालय राज्य की खनिज नीति बनाने, खनिजों के अन्वेषण (exploration) और दोहन (exploitation) को विनियमित करने, खनन गतिविधियों से राजस्व संग्रह करने और खनन से संबंधित पर्यावरण चिंताओं को दूर करने का कार्य करता है। राजस्थान, जो अपने विविध खनिज भंडार (जैसे संगमरमर, ग्रेनाइट, चूना पत्थर, जस्ता, सीसा और जिप्सम) के लिए प्रसिद्ध है, के लिए खान एवं भूविज्ञान मंत्री की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। ऐसे में यह जानना स्वाभाविक है कि वर्तमान में राजस्थान के खान एवं भूविज्ञान मंत्री कौन हैं और वे राज्य के खनिज क्षेत्र को कैसे मजबूत कर रहे हैं।
वर्तमान में, राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के पास खान एवं भूविज्ञान (Mines & Geology) विभाग का भी प्रभार है। मुख्यमंत्री होने के नाते, वे राज्य की शीर्ष प्राथमिकताओं में खनिज क्षेत्र के विकास को शामिल कर रहे हैं और खनन गतिविधियों को अधिक कुशल, पारदर्शी और पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए महत्वपूर्ण नीतियों और पहलों का नेतृत्व कर रहे हैं। उनके पास कार्मिक, आबकारी, गृह, आयोजना, सामान्य प्रशासन, निती निर्धारण, सूचना एवं जनसंपर्क, एसीबी जैसे अन्य महत्वपूर्ण विभाग भी हैं।
कौन हैं श्री भजनलाल शर्मा? एक संक्षिप्त परिचय
(यह खंड वही है जो हमने गृह मंत्री वाले लेख में लिखा था, क्योंकि मुख्यमंत्री के पास ही यह विभाग है। हम यहाँ इसे संक्षिप्त रखेंगे।)
श्री भजनलाल शर्मा राजस्थान की राजनीति में एक प्रमुख चेहरा हैं और वर्तमान में राज्य के मुख्यमंत्री हैं। उनका जन्म 15 दिसंबर 1967 को भरतपुर जिले के अटारी गाँव में हुआ था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक अनुभवी नेता के रूप में, उन्होंने पार्टी के भीतर विभिन्न पदों पर काम किया है। मुख्यमंत्री के रूप में, वे राज्य के समग्र विकास के लिए विभिन्न महत्वपूर्ण विभागों का नेतृत्व कर रहे हैं, जिनमें खान एवं भूविज्ञान भी शामिल है, जो राज्य के राजस्व और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
खान एवं भूविज्ञान मंत्री के रूप में श्री भजनलाल शर्मा की भूमिका और जिम्मेदारियाँ
राजस्थान के खान एवं भूविज्ञान मंत्री के रूप में श्री भजनलाल शर्मा की जिम्मेदारियाँ अत्यंत व्यापक और राज्य की खनिज संपदा के उचित प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण हैं। उनका मुख्य ध्यान खनिजों के व्यवस्थित दोहन, राजस्व वृद्धि, अवैध खनन पर रोक और पर्यावरण संरक्षण पर केंद्रित है। उनकी कुछ प्रमुख भूमिकाएं और जिम्मेदारियां इस प्रकार हैं:
- खनिज नीति का निर्माण: राज्य में खनिज संसाधनों के सतत विकास और उपयोग के लिए नीतियां बनाना।
- खनन पट्टों का आवंटन: खनिजों के खनन और अन्वेषण के लिए वैध पट्टों (leases) और लाइसेंसों का आवंटन और विनियमन।
- राजस्व संग्रहण: खनन गतिविधियों से प्राप्त होने वाले रॉयल्टी, सेस और अन्य शुल्कों का प्रभावी संग्रहण सुनिश्चित करना, जो राज्य के राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
- अवैध खनन पर नियंत्रण: राज्य में अवैध खनन गतिविधियों पर प्रभावी ढंग से रोक लगाना और उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करना।
- भूवैज्ञानिक अन्वेषण: नए खनिज भंडारों की खोज और मौजूदा भंडारों के आकलन के लिए भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और अनुसंधान को बढ़ावा देना।
- पर्यावरण संरक्षण: खनन गतिविधियों से होने वाले पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने और खनन क्षेत्रों के पुनर्वास के लिए उपाय सुनिश्चित करना।
- एम-सैंड (M-Sand) को बढ़ावा: बजरी के विकल्प के रूप में एम-सैंड के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देना।
- खनिज विकास निधि: खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास और खनन श्रमिकों के कल्याण के लिए जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (DMFT) फंड का प्रबंधन।
श्री भजनलाल शर्मा: एक सारणीबद्ध जानकारी (खान एवं भूविज्ञान मंत्री के रूप में)
खान एवं भूविज्ञान मंत्री के रूप में श्री भजनलाल शर्मा की मुख्य जानकारी को आप नीचे दी गई तालिका में देख सकते हैं। यह जानकारी आपको उनके बारे में एक त्वरित और स्पष्ट अवलोकन प्रदान करेगी:
विशेषता | जानकारी |
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पूरा नाम | श्री भजनलाल शर्मा |
वर्तमान पद | मुख्यमंत्री एवं खान एवं भूविज्ञान मंत्री, राजस्थान सरकार |
जन्मतिथि | 15 दिसंबर 1967 |
जन्म स्थान | अटारी, जिला भरतपुर, राजस्थान |
राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) |
मुख्य कार्यक्षेत्र | खनिज प्रशासन, भूवैज्ञानिक अन्वेषण, खनन राजस्व, अवैध खनन नियंत्रण |
कार्यकाल प्रारंभ | दिसंबर 2023 (मुख्यमंत्री और खान एवं भूविज्ञान मंत्री के रूप में) |
निर्वाचन क्षेत्र | सांगानेर विधानसभा (वर्तमान) |
राजस्थान में खनिज क्षेत्र: चुनौतियाँ और पहलें
राजस्थान खनिज संपदा से समृद्ध होने के बावजूद कई चुनौतियों का सामना करता है, जिनमें अवैध खनन, पर्यावरण संतुलन, नई खोजों की आवश्यकता और खनिज आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना शामिल है। श्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में, खान एवं भूविज्ञान विभाग इन चुनौतियों से निपटने और राज्य के खनिज क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें कर रहा है:
- नई खनिज नीति और एम-सैंड नीति: हाल ही में नई खनिज नीति और नई एम-सैंड नीति जारी की गई है, जिसका उद्देश्य खनन को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाना है।
- ई-नीलामी प्रक्रिया: खनिजों के आवंटन में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार को कम करने के लिए ई-नीलामी प्रक्रिया को बढ़ावा देना।
- अवैध खनन पर सख्त कार्रवाई: अवैध खनन के खिलाफ सख्त अभियान चलाना और टेक्नोलॉजी (जैसे ड्रोन) का उपयोग कर निगरानी बढ़ाना।
- एम-सैंड इकाइयों की स्थापना: बजरी के विकल्प के रूप में एम-सैंड (निर्मित रेत) के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नई इकाइयों की स्थापना करना।
- खनिज अन्वेषण को गति: राज्य में नए खनिज भंडारों की पहचान के लिए भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और अन्वेषण गतिविधियों को तेज करना।
- राजस्व वृद्धि: खनिज राजस्व में वृद्धि के लिए नए उपाय करना और नियमों का प्रभावी अनुपालन सुनिश्चित करना।
- पर्यावरण अनुकूल खनन: पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए टिकाऊ खनन पद्धतियों को लागू करना।
निष्कर्ष
राजस्थान के खान एवं भूविज्ञान मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा का पद राज्य की आर्थिक समृद्धि और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह विभाग राज्य के राजस्व में महत्वपूर्ण योगदान देता है और रोजगार के अवसर भी पैदा करता है। उनके नेतृत्व में, राजस्थान सरकार खनिज क्षेत्र को मजबूत करने, पारदर्शिता लाने और राज्य की खनिज संपदा का कुशल और टिकाऊ तरीके से उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है। इन प्रयासों से राजस्थान खनिज क्षेत्र में एक अग्रणी राज्य के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत करेगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
राजस्थान के वर्तमान खान एवं भूविज्ञान मंत्री कौन हैं?
वर्तमान में राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा के पास खान एवं भूविज्ञान विभाग का अतिरिक्त प्रभार है।
राजस्थान के मुख्य खनिज कौन से हैं?
राजस्थान में संगमरमर, ग्रेनाइट, चूना पत्थर, जस्ता, सीसा, जिप्सम, रॉक फास्फेट, और कई अन्य धात्विक व अधात्विक खनिज पाए जाते हैं।
राजस्थान में एम-सैंड क्या है?
एम-सैंड (Manufactured Sand) बजरी का एक विकल्प है, जो क्रशर द्वारा पत्थरों को पीसकर बनाई जाती है। यह निर्माण कार्यों में उपयोग होती है और प्राकृतिक बजरी पर निर्भरता कम करती है।
खान एवं भूविज्ञान विभाग की प्रमुख जिम्मेदारियां क्या होती हैं?
इस विभाग की प्रमुख जिम्मेदारियों में खनिज नीति बनाना, खनन पट्टों का आवंटन, राजस्व संग्रहण, अवैध खनन पर नियंत्रण, भूवैज्ञानिक अन्वेषण और पर्यावरण संरक्षण शामिल है।